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लेखनी कहानी -25-Oct-2023

हास्य व्यंग्य  : अफगान जलेबी

घर की आबोहवा में बड़ी दुर्गंध फैली हुई थी । सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था । घर में हम दो ही प्राणी थे , मैं और मेरी इकलौती श्रीमती जी । इस दुर्गंध के जिम्मेदार भी हम दोनों में से कोई एक ही होगा, यह स्वाभाविक सी बात थी । मेरा पेट तो बिल्कुल साफ था इसलिए अब शक की सुंई श्रीमती जी की ओर मुड़ गई थी । हमने अपनी नाक सिकोड़ते हुए पूछा

"ऐसा क्या खा लिया आपने जो पूरा घर सड़ांध के मारे "सुलभ शौचालय" बना हुआ है" ?  हमने तीर छोड़ते हुए सीधा वार किया । पति पत्नी में जब तक "वाकयुद्ध" ना हो तो पड़ोसियों को भी मजा नहीं आता है । बहुत दिनों से हमारी पड़ोसन छमिया भाभी हमें शिकायत भी कर रही थीं कि आजकल आपके यहां से बर्तन टूटने की आवाजें नहीं आ रही हैं , सब कुशल मंगल तो है ना ?  कैसे कैसे पड़ोसी होते हैं ? यदि घर में कुछ टूट फूट नहीं हो रही है तो इसका मतलब ये लगाया जाता है कि घर के हालात ठीक नहीं हैं । यह प्रश्न यदि कोई और पूछता तो हम उसे दिन में तारे दिखा देते , पर छमिया भाभी की बात कुछ और है । हमारी पड़ोसन छमिया भाभी हमसे कुछ फरमाइश करें और उसे हम पूरा नहीं करें तो यह हमारे लिए अत्यन्त शर्मनाक घटना है । इसलिए आज हम छमिया भाभी को खुश करने के लिए श्रीमती जी से पंगा लेने को तैयारहो गये । हमारी बात सुनकर श्रीमती जी ने हमें ऐसे देखा जैसे कोई भूखी शेरनी किसी खरगोश के बच्चे को देखती है । उनकी उन नजरों को देखकर हम एकदम से सहम गये और सोचा कि बस अब अपना अंत निकट ही है । वे गुर्राते हुए बोलीं  "मैं तो पिछले दो दिन से व्रत कर रही हूं इसलिए मेरी तरफ तो देखो ही मत । ऐसे "अनोखे" कार्य तो आप ही करते हैं और सारा दोष मुझ पर मढ़ते हैं" । उनके मुंह से आग निकलने लग गई

अब तो संकट खड़ा हो गया । जब दोनों का ही पेट साफ है तो फिर इस दुर्गंध का कारण क्या हो सकता है ? हम अभी सोच ही रहे थे कि हमारे "घुटन्ना मित्र" हंसमुख लाल जी का फोन आ गया  "भाईसाहब, आजकल तो बदबू के मारे घर में भी टिकना दूभर हो गया है , कुछ करो ना" ?  अब तो यह बात साफ हो गई थी कि दुर्गंध केवल हमारे घर में ही नहीं थी वरन पूरे जयपुर शहर में फैली हुई थी । इतने में दिल्ली से "गिरगिट लाल" मुम्बई से "धोखे लाल" , पटना से "पलटूराम" और कोलकाता से "सादगी देवी" का भी फोन आ गया । सब जगह दुर्गंध फैली हुई थी । पूरा भारत इ दुर्गंध के आगोश में समाया हुआ था । हमने अपना चाचा चौधरी वाला दिमाग दौड़ाया तो सारा माजरा समझ में आ गया । हम हंसमुख लाल जी से हंसते हुए बोले  "ये दुर्गंध केवल जयपुर में ही नहीं है अपितु पूरे भारत में फैली हुई है और ये अभी जाने वाली भी नहीं है" ।

हंसमुख लाल जी हमारी बात सुनकर हक्के बक्के रह गये और कारण पूछने लगे ।  "इसका कारण विश्व कप है" हमने हंसते हुए बताया ।  "क्यों मजाक कर रहे हो भाईसाहब ? विश्व कप का दुर्गंध से क्या संबंध है ? लगता है कि प्लांट से कोई गैस बड़ी मात्रा में लीक हो गई है"  "अरे नहीं हंसमुख लाल जी , हम सत्य कह रहे हैं आपसे । इसका कारण केवल विश्व कप है, और कोई नहीं" ।  "वो कैसे" ?  "वो ऐसे मेरे भोले भंडारी कि विश्व कप में पहले तो हमने पाकिस्तान को बुरी तरह से परास्त कर दिया था । उस पर तुर्रा यह कि जब "नमाजी रिजवान" आउट होकर पैवेलियन लौट रहा था तब करीब सवा लाख दर्शकों ने "जय श्रीराम" के नारे लगाने शुरू कर दिये । ये भी कोई बात हुई भला । इतना "कम्युनल" नारा लगाओगे तो तथाकथित धर्म निरपेक्ष लोगों की तो जलेगी ही ना ? अब उन लोगों के पिछवाड़े से धुंआ निकल निकल कर सब जगह फैल रहा है । यह दुर्गंध उसी की है" ।  "पर भाईसाहब, आस्ट्रेलिया ने भी तो उन्हें जी भरकर कूटा है उसका क्या" ? हंसमुख लाल जी चहकते हुए बोले ।

"ये और भी बुरी बात हुई उनके साथ । बेचारे पाकिस्तानी भारत की हार से अभी तक उबरे भी नहीं थे कि आस्ट्रेलिया ने भी उनको जमकर कूट दिया । यदि मैदान में कूट भी दिया तो भी कोई बात नहीं पर आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने भी "जय श्रीराम" का घोर कम्युनल नारा तथा "भारत माता की जय" का सांप्रदायिक नारा लगा दिया । ऐसे भी कोई करता है क्या ? इतनी बेइज्जती की उम्मीद पाकिस्तानियों को नहीं थी । उनकी तो हवा टाइट हो गई । हमारी भारतीय धर्म निरपेक्ष जमात इस जय श्रीराम के नारे से ऐसे ही चिढ जाती है जैसे लाल कपड़ा देखकर सांड चिढ़ जाता है या हनुमान जी का नाम लेने से भूत प्रेत चिढ़ जाते हैं । तो इन नारों से सारे पाकिस्तानी और भारत के सेक्युलर चिढ़ गये तथा उन्होंने गुस्से में आकर लाखों टी वी तोड़ दिये" । हम ज्ञान बघारते हुए ऐसे बोले जैसे भारत के लिबरल्स अपना ज्ञान का दीपक लेकर हर जगह घूमते रहते हैं ।  "पर ये भी पुरानी घटना है इसका आज की दुर्गंध से क्या लेना देना ? मुझे तो लगता है कि पाकिस्तानियों को वहां पर आटा भी नसीब नहीं होता है और यहां पर उन्हें चिकन, मटन  सब फ्री मिल रहा है तो जरा ज्यादा "दबा" गये होंगे । उसी के कारण यह दुर्गंध फैली होगी" ? हंसमुख लाल जी ने अधीरता से कहा ।

"बड़ी जल्दी अधीर हो जाते हो हंसमुख लाल जी , थोड़ा धैर्य धारण करना भी सीखो । सुनो , मैं समझाता हूं । भारत और आस्ट्रेलिया की जबरदस्त ठुकाई से पाकिस्तान की पीठ लहूलुहान हो गई थी । लेकिन अफगानिस्तान ने तो इनको मार मारकर इनका पिछवाड़ा पूरा ही सुजा दिया था । पाकिस्तानी तो "अफगान जलेबी" समझकर अफगानिस्तान को कच्चा चबा जाना चाहते थे । पर ये "अफगान जलेबी" तो बड़ी तीखी निकली । ये इतनी तीखी थी कि इससे पाकिस्तानियों के शरीर के प्रत्येक अंग से धुआं निकलने लग गया । रही सही कसर अफगानिस्तान के खिलाड़ी रशीद खान ने निकाल दी । उसने अफगानिस्तान के झंडे के साथ साथ भारत का झंडा अपने हाथ में लेकर पूरे स्टेडियम में एक चक्कर काट लिया । इस घटना को टेलीविजन पर देखकर सारे पाकिस्तानी पागल हो गये और भारत में रहने वाले बहुत से पाकिस्तानी तथा दलाल पत्रकार बुरी तरह से बिलख पड़े । शेरवानी पहनकर पत्रकारिता करने वाली आरफा , दूरदर्शन के भूतपूर्व निदेशक का दामाद और कांग्रेस की खैरात पर पलने वाला पत्तलकार तथा और भी लिबरल्स की बड़े जोर से "सुलग" उठी थी । इन सबने अपने स्थान विशेष से इतनी गैस छोड़ी कि भारत बदबू का एक चैम्बर बन गया । उस पर तुर्रा यह कि भारत के भूतपूर्व खिलाड़ी इरफान पठान ने "अफगान जलेबी" गाने पर जमकर नागिन डांस किया था । इनसे ये सब कैसे बर्दाश्त होता भला ? तो इन्होंने खूब गंद फैलाई है" ।

मेरी बातों से खुश होकर हंसमुख लाल जी कहने लगे "बड़े तुर्रम खां समझते थे ये पाकिस्तानी खुद को । भारत में रह रहे बहुत से "पाकिस्तानी" भी इन्हें अपना "माई बाप" मानते हैं , आज वे भी जार जार रो रहे हैं और राष्ट्रवादियों को गाली भी निकाल रहे हैं । पर एक बात बताऊं भाईसाहब, ये अफगान जलेबी है बड़ी कमाल की । चलो , अपुन भी चलकर खाते हैं"

हरिशंकर गोयल "श्री हरि"  25.10.23

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1 Comments

Gunjan Kamal

25-Oct-2023 05:30 PM

🤣🤣🤣🤣

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